Rakesh rakesh

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मेरे जीवन की खास तस्वीर

मैंने और मेरी सबसे प्यारी सहेली नीति ने 12वीं कक्षा अच्छे नंबरों से पास करने के बाद ताजमहल घूमने की योजना बनाई। हम  दोनों के परिवार वालों ने हमारी देखभाल और सुरक्षा के लिए नीति के मामा को हमारे साथ भेजा।

 वह बहुत ही हंसमुख स्वभाव के थे ।और खाने-पीने के शौकीन थे। वह मुझे प्यार से गोल्डी कहते थे। वैसे मेरा नाम सोनाली है।

 मैंने आज तक रेल का सफर नहीं किया था। इस वजह से नीति और नीति के मामा मेरे साथ रेल से ताजमहल जाने के लिए तैयार हो गए।

   रेल के डिब्बे में हमें खिड़की के किनारे वाली सीट मिल गई थी। रेल में बैठते ही नीति के मामा ने मेरे खाने का डिब्बा खोल दिया और कहने लगे "गोल्डी के खाने में से थोड़ा सा टेस्ट करके देखता हूं। गोल्डी क्या स्वादिष्ट खाना लाई है।" उन्होंने जैसे ही भरमा भिंडी और पूरी मुंह में रखी भिंडी की जगह उन्होंने  तीखी हरी मिर्च का अचार पूरी के साथ अपने मुंह में रख  लिया  था।

 दिल्ली से ताजमहल का सफर छोटा था। इसलिए हमने पीने के  पानी की बोतल सफर में ही खरीदने  की सोची थी। हमारे पास पीने का पानी नहीं था।
 मामा जी की तीखी मिर्च के कारण हालत खराब हो रही थी। इतने पहला  स्टेशन आ गया। मामा जी जल्दी से  रेल से  उतरकर पीने के पानी के बोतल लेने  भागे। जैसे ही रेल के गेट के पास वापस आए रेल  धीरे धीरे चलने लगी।

 मामा जी की आयु 45 46 साल के करीब थी। फिर भी वह धीरे धीरे चलती ट्रेन में चढ नहीं पा रहे थे। हम दोनों चिल्लाने लगे "मामा जी जल्दी करो" "जल्दी करो" इतने में रेल की गति तेज हो गई है।

 तभी एक लड़के ने रेल की चेन खींच दी। मामा जी रेल में चढ गए। रेल की चैन  खींचने की वजह से टी टी रेल के डिब्बे में आ गया। और मामा जी और उस लड़के से चेन खींचने का जुर्माना मांगने लगा।

 उस लड़के की गलती बता कर मामा जी ने जुर्माना देने से मना कर दिया। फिर मैंने और नीति ने पैसे इकट्ठे करके टीटी को जुर्माने की रकम दी। पर उस लड़के ने हमें बीच में रोककर  जुर्माने की रकम खुद ही दी।

 अगले स्टेशन पर खिड़की से ही मामा जी ने हम सब के लिए गरम गरम चाय खरीदी। और एक कुल्लड़ चाय उस लड़के को भी पीने के लिए दी।

 मामा जी ने कुछ ही क्षणों में उस लड़के से ऐसे दोस्ती कर ली, जैसे वह उसके  बचपन के मित्रों हो। सफर में मामा जी ने अपने चुटकुले सुना सुना कर हमारे मुंह में हंसा हंसा कर दर्द कर दिया था।
 बातों हीबातों मामा जी को उस लड़के ने बताया  कि उसका नाम सिद्धार्थ है। वह  दिल्ली के कॉलेज में पढ़ता है। आगरा का रहने वाला है। और अपनी बहन की शादी में शामिल होने जा रहा है।

 उस लड़के से मेरी नजरें जब जब मिलती थी। तो मेरा दिल तेज तेज धड़कने लगता था। आगरा पहुंचने तक उसने पूरी तरह अपनी नजरों से इजहार कर दिया था। कि वह मुझे पसंद करने लगा है।
 आगरा रेलवे स्टेशन पर उतर कर मामाजी होटल ढूंढने  की वजह उस लड़के से कहने लगे "आज की रात हम सब तुम्हारे घर पर ही रुक जाते हैं।" मुझे ऐसा लगा जैसे वह  लड़का इसी बात का इंतजार कर रहा था।

 सिद्धार्थ  के घर पहुंचने के बाद सिद्धार्थ के पिता बहन ने हमारा  बहुत ही अच्छे तरीके से स्वागत किया।  सिद्धार्थ की मां बीमार  थी। इसलिए सिद्धार्थ के पिता और सिद्धार्थ मामा जी भी उनके साथ अस्पताल सिद्धार्थ की मां  को देखने गए थे।
 
 वह सबअस्पताल से वापस आए तो पता चला कि, सिद्धार्थ की मां की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी। उन्हें खून चढ़ाने की जरूरत थी।  मामा जी ने सिद्धार्थ की मां को ब्लड दिया है। क्योंकि मामा जी का ब्लड ग्रुपo positive था। O positive ग्रुप वाला सब को ब्लड दे सकता है।

   सिद्धार्थ की बहन की शादी 15 दिन के बाद थी। सिद्धार्थ और उसकी बहन को हम ने वायदा किया था। कि हम 15 दिन के बाद  शादी में जरूर शामिल होंगे। पर हम शादी में नहीं पहुंच पाए थे।

 दूसरे दिन सिद्धार्थ हमें ताजमहल दिखाने लेकर गया। ताजमहल घूमते घूमते हम सब ने बहुत ही मौज मस्ती  कि।
 मुझे मामा जी की नजरों  से पता चल गया था कि, उन्हें  पता चल गया है, कि सिद्धार्थ और मे एक दूसरे  को पसंद करने लगे हैं।

 और हमने शाम के 4:00 बजे दिल्ली के लिए एक प्राइवेट कार ली  और हम सब दिल्ली आ गए।
 6 महीने बाद नीति के मामा जी ने मुझे फोन करके लाल किला बुलाया।

लाल किले पर पहुंचकर मैंने देखा  मामा जी एक लड़के के साथ गोलगप्पे खा रहे थे। उनके साथ जो लड़का  गोलगप्पे खा रहा था,  वह लड़का सिद्धार्थ था। और मामा जी की वजह से सिद्धार्थ मेरे जीवन में दोबारा आ गया। फिर  सिद्धार्थ से मेरी शादी हो गई। मुझे उस दिन एक बात और समझ नहीं आई थी, कि मामा जी ने सिद्धार्थ की मम्मी को ब्लड दिया। सिद्धार्थ और  मुझे मिलाया। इतने    हंसमुख सच्चे दिल के  इंसान। पर इन्होंने अपनी गलती होने पर भी रेल की चेन खींचने पर सिद्धार्थ से जुर्माना क्यों भर आया था।
 फिर मुझे नीति  से पता चला उस दिन आगरा जाने से पहले उनकी बेटी रास्ते में मिल गई थी। उन्होंने अपने पास सिर्फ ₹500 रखे थे। और सारे पैसे अपनी बेटी को दे दिए थे। उनकी पत्नी ने किसी दूसरे मर्द के प्यार में फस कर मामा जी को तलाक दे दिया। 
आज मामा जी का स्वर्गवास हुए पूरे 5 वर्ष हो गए हैं। मेरे पति सिद्धार्थ ने मुझे मामा जी वही तस्वीर दिखाई जब हम ताजमहल घूमने गए थे।और उसी यात्रा में सिद्धार्थ से मेरी पहली मुलाकात हुई थी। मामा जी  की यह तस्वीर मेरे लिए सबसे ज्यादा खास है।

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6 Comments

Milind salve

07-Oct-2022 05:48 PM

बहुत खूब

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shweta soni

04-Oct-2022 04:57 PM

Bahut khub 👌

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Barsha🖤👑

03-Oct-2022 06:23 PM

Beautiful

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